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ग़ज़ल
न मेरी बात ही समझा न मेरा मुद्दआ' समझा
सुना क़िस्सा मगर क्या जाने उस ज़ालिम ने क्या समझा
अनवारुल हक़ अहमर लखनवी
ग़ज़ल
सर-ए-सहरा मुसाफ़िर को सितारा याद रहता है
मैं चलता हूँ मुझे चेहरा तुम्हारा याद रहता है
अदीम हाशमी
ग़ज़ल
जब दिल में तिरे ग़म ने हसरत की बिना डाली
दुनिया मिरी राहत की क़िस्मत ने मिटा डाली